आज के दौर में जो लक्षण 70 साल के बाद दिखने चाहिए वह 30- 35 साल की उम्र में ही दिखाई दे रहे हैं ऐसा कहना गलत नहीं होगा |
जवानी में बालों का सफेद होना,त्वचा पर सुरकुती / दरारे आना ,उत्साह न होना, खुद होकर कोई काम करने की इच्छा ना होना, हमेशा से थोड़ा ज्यादा काम हो जाए तो थकावट होना ,मर्दों के बारे में पुरुष शुक्राणुओं की कमी होना, स्त्रियों में स्त्री बीज ठीक से न बनना या फिर कमजोर रहना ,बीपी -डायबिटीज की शिकायत होना, दिल की बीमारियां होना यह सब लक्षण बहुत जल्द दिखाई दे रहे हैं |
बुढ़ापा जल्दी ना आए ,उम्र अच्छी रहे इसलिए पहले से ही हमें अपने शरीर का खयाल रखना चाहिए |
पहले से ही अच्छा पौष्टिक आहार ,जवानी में किया गया संतुलित व्यायाम ,कमाई हुई धातु शक्ति बेवजह गलत आदतों में व्यर्थ न करना इन सब आदतों से बुढ़ापा को दूर रखने में मदद होती है |
इसीलिए गलत आहार (जंक फूड ,फास्ट फूड ),व्यायाम का अभाव, बढ़ता हुआ प्रदूषण ,मानसिक तान तनाव में बढ़ोतरी इन सब का परिणाम बेवक्त बुढ़ापा आने में होता है |
याददाश्त अच्छी रखने के लिए बदाम ,जर्दालू ,ड्राई फ्रूट्स खाने में रखने चाहिए | ब्राह्मी चूर्ण ,ब्राह्मी घृत,शंखपुष्पी चूर्ण,सारस्वतारिष्ट ऐसी मेध्य दवाइयोंका उपयोग करना चाहिए |
अच्छी नींद आने के लिए पैरों के तलवों को सोते वक्त तेल लगाना चाहिए , बदन पर नहाने से पहले तेल लगाना चाहिए | जटामांसी चूर्ण का उपयोग करना चाहिए |
जोड़ों में दर्द, कमर दर्द इनके लिए महानारायण तेल, धानवंतर तेल का अभ्यंग करना चाहिए | जोड़ों में दर्द और हड्डियों की मजबूती के लिए दूध ,डिंक के लड्डू ,लाक्षादि गुग्गुल, बस्ती पंचकर्म का उपयोग करना चाहिए |
दातों की सेहत के लिए बकुळ, खदिर इत्यादि चूर्णो से बने हितकर दंत मंजन का इस्तेमाल करना चाहिए | इरीमेंदादी तेल मिश्रित पानी के कुल्ली करनी चाहिए |
इसके अलावा वक्त के अनुसार शास्त्रोक्त पंचकर्म करना चाहिए | उत्तम चूर्नो से बने हुए रसायन( सप्त धातुवर्धक ),वाजीकरण ( विशेषतः शुक्र वर्धक) का उपयोग करना चाहिए | चलना, योगासन, प्राणायाम क्रिया नियमित करना चाहिए | मन शांति रहेगी इस पर ध्यान देना चाहिए |
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